Friday, 23 February 2024

पूर्ण तू तयार है...

एक था निकल पड़ा

एक था जकड़ चुका

एक ने निगल लिया

एक ने उगल दिया


मैं खड़ा तू खड़ा

विचारो का बड़ा घड़ा

तू उठा... तू उठा

हम से ना ये उठ रहा


चल झांक कर यूं देख ले

भरा दिखा तो छोड़ दे

जकड़ पकड़ उगल निगलते

वो सदा भरा रहे


यदि ध्यान से झांकले 

तो सब दिखे खोखला 

आज तू बता ही दे

की पूर्ण तू तयार है


असीम शक्ति स्रोत को

महाबली तू जान ले

उठ खड़ा हो बाण ले

प्रतिकार की ढाल ले

गुलामी न्यून भाव की 

मुष्ठी से मरोड़ दे


चक्रव्यूह भेद कर

चक्रधर को स्वार्घ्य दे

पार्थरथी सारथी को

स्वत्व तू सौप दे


हरि शरण जो गया

वही चढ़ा सदा शिखर

आत्मबल जान कर

हिमश्वेत सा गया निखर


जकड़ पकड़ उगल निगलना 

छोड़ दे आज से

दहाड़ कर ये बता..

की पूर्ण तू तयार है

पूर्ण तू तयार है...


~ अचलेय

(२४-०२-२४)

शालिग्राम

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