तेरा समर बड़ा
मुक़ाम बड़ा
तू ढीठ रहे
तो तूफान बड़ा
समतल पे तो घास उगे
केसर उगता पहाड़ो पे
भट्टी से गुजरे तेरा लोहा
तो पिघलेगा और जमलेगा
न समशेर बनाना है आसान
न म्यान सजाना है आसान
यदि अंगारो पे चलना हो
धधकती आग दिलमें हो
जब अंधेरे से भिड़ना होगा
खुदहिको मशाल बनना होगा
आम उगाना चाहे तू
तिनके के बीज न बोना तू
समय बोया तूने तेरा
तो सोना भी कल उग जाएगा
~ अचलेय
( ३ फरवरी २०१९ )
मुक़ाम बड़ा
तू ढीठ रहे
तो तूफान बड़ा
समतल पे तो घास उगे
केसर उगता पहाड़ो पे
भट्टी से गुजरे तेरा लोहा
तो पिघलेगा और जमलेगा
न समशेर बनाना है आसान
न म्यान सजाना है आसान
यदि अंगारो पे चलना हो
धधकती आग दिलमें हो
जब अंधेरे से भिड़ना होगा
खुदहिको मशाल बनना होगा
आम उगाना चाहे तू
तिनके के बीज न बोना तू
समय बोया तूने तेरा
तो सोना भी कल उग जाएगा
~ अचलेय
( ३ फरवरी २०१९ )