Tuesday, 5 February 2019

सैफरन

तेरा समर बड़ा
मुक़ाम बड़ा

तू ढीठ  रहे
तो तूफान बड़ा

समतल पे तो घास उगे
केसर उगता पहाड़ो पे

भट्टी से गुजरे तेरा लोहा
तो पिघलेगा और जमलेगा

न समशेर बनाना है आसान
न म्यान सजाना है आसान

यदि अंगारो पे चलना हो
धधकती आग दिलमें हो

जब अंधेरे से भिड़ना होगा
खुदहिको मशाल बनना होगा

आम उगाना चाहे तू
तिनके के बीज न बोना तू

समय बोया तूने तेरा
तो सोना भी कल उग जाएगा

                                   ~ अचलेय
                                      ( ३ फरवरी २०१९ )


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