सृजन के संकल्परथ को
हांकने का तू सामर्थ्य है
प्रेम का अमृतकलश
है आंख में तेरे बसा
अनंत बल सामर्थ्य का
साकार रूप, तू ही है
शिव को भी संपूर्ण करती
अर्धांगिनी तू शक्ति है
तुझे फूल मै अर्पण करूं तो
फूलों की शोभा बढ़े
तू प्रेम है, तू शक्ति है
तू विश्वजननी नारी है
~ अचलेय
(८ मार्च २०२३)
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